बुधवार, 20 जनवरी 2010

नर्मदा जयंती की पूर्व संकल्प लीजिये

संग-ए-मरमरी सफ़ेद चट्टानों  के बीच होकर  प्रवाहित  माँ नर्मदा  को सादर प्रणाम करते हुए आपको याद दिला दूं की नर्मदा जयंती यानी 22 जनवरी 2010 हम अटूट संकल्प लें लें कि इसके घाटों को हम स्वच्छ रखेंगें. नदियाँ हमारी सांस्कृतिक एवं वैभव शाली अतीत की गवाह होतीं हैं. कल आने वाली पीढ़ी जब सवाल करेगी कि हम ने इसके तटों को कितना सजाया-संवारा कितनी सुरक्षा दी तब हमारे पास कोई जवाब न होगा. यदि आप को मेरी विनती स्वीकार्य है तो ज़रूर कल जब आप माँ नर्मदा के तट पर दीपदान करेंगे तो बस एक बात का संकल्प ज़रूर लीजिये कि   माता के तट को स्वच्छ रखने  उसके तट पर साबुन पालीथीन का प्रयोग न करेंगें . नदी का प्रदूषित करने वाली किसी भी वस्तु को किसी भी नदी में न जानें देंगें. जो भी फूल-पुष्प आदि निर्माल्य है उसे भूमि में 'जैविक-खाद' के रूप में बदलने  के साधन खोज कर जैविक खाद तैयार करेंगे जिससे  नदी की स्वच्छता और भूमि की उर्वरता में वृद्धि हो . आयु में मैं सभी पाठकों से छोटा ज्ञान के मामले में भी छोटा हूँ अत: इस अनुराध को अन्यथा मत लीजिये.
सच कहूं हम गायकों के  सुर के सुगम प्रवाह के लिए थोड़ी सी भी बाधा भी आप सुधि-श्रोताओं को खलती है तो सरिता का प्रवाह में बाधा क्यों नहीं खलती ? सच मायने में इस प्रवाह को पावन बनाए रखना हमारी जवाब देही है .
भारतीय धर्म-संकृति की पोषक नदियाँ हमारी धरोहर हैं इसे मुझसे ज़्यादा आप सभी जानतें हैं . फिर भी
                                              ''त्वदीयपाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे !!''


मंगलवार, 19 जनवरी 2010

साईं राम

Namaskar

साईं राम

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नमस्कार
आप सभी को आभास जोशी का सादर अभिवादन