

संग-ए-मरमरी सफ़ेद चट्टानों के बीच होकर प्रवाहित माँ नर्मदा को सादर प्रणाम करते हुए आपको याद दिला दूं की नर्मदा जयंती यानी 22 जनवरी 2010 हम अटूट संकल्प लें लें कि इसके घाटों को हम स्वच्छ रखेंगें. नदियाँ हमारी सांस्कृतिक एवं वैभव शाली अतीत की गवाह होतीं हैं. कल आने वाली पीढ़ी जब सवाल करेगी कि हम ने इसके तटों को कितना सजाया-संवारा कितनी सुरक्षा दी तब हमारे पास कोई जवाब न होगा. यदि आप को मेरी विनती स्वीकार्य है तो ज़रूर कल जब आप माँ नर्मदा के तट पर दीपदान करेंगे तो बस एक बात का संकल्प ज़रूर लीजिये कि माता के तट को स्वच्छ रखने उसके तट पर साबुन पालीथीन का प्रयोग न करेंगें . नदी का प्रदूषित करने वाली किसी भी वस्तु को किसी भी नदी में न जानें देंगें. जो भी फूल-पुष्प आदि निर्माल्य है उसे भूमि में 'जैविक-खाद' के रूप में बदलने के साधन खोज कर जैविक खाद तैयार करेंगे जिससे नदी की स्वच्छता और भूमि की उर्वरता में वृद्धि हो . आयु में मैं सभी पाठकों से छोटा ज्ञान के मामले में भी छोटा हूँ अत: इस अनुराध को अन्यथा मत लीजिये.
सच कहूं हम गायकों के सुर के सुगम प्रवाह के लिए थोड़ी सी भी बाधा भी आप सुधि-श्रोताओं को खलती है तो सरिता का प्रवाह में बाधा क्यों नहीं खलती ? सच मायने में इस प्रवाह को पावन बनाए रखना हमारी जवाब देही है .
भारतीय धर्म-संकृति की पोषक नदियाँ हमारी धरोहर हैं इसे मुझसे ज़्यादा आप सभी जानतें हैं . फिर भी
''त्वदीयपाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे !!''
Waah Jabalpur ke din yaad aa gaye..
जवाब देंहटाएंJai Hind...
बहुत सुंदर पोस्ट... जब भेडाघाट घूमा था...तो वो दिन याद दिला दिया.....
जवाब देंहटाएंअच्छे चिंत्र और जानकारी !!
जवाब देंहटाएंjaaree rahe safar bete
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सुन्दर संदेश!!
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ.
अरे वाह आभास तुम्हारी गायकी के तो हम दीवाने हैं ,अब लगता है लेखनी के भी हो जाएंगे ,बहुत बहुत शुभकामनाएं , गिरीश जी हैं ही मार्गदर्शन के लिए
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
बहुत पावन और निर्मल सन्देश दिया है आभास बाबू. लेकिन अपने अभियान को सिर्फ दीपदान के दिन तक ही सीमित न रहने देना. जितना भी समय मिले, और जितना भी समर्थन मिले, नर्मदा मैया में हो रहा प्रदूषण अवश्य रोकना. मेरी शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सुन्दर संदेश और नेट जगत पर एक अच्छी पहल है ...स्वागतयोग्य....
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र मिश्र
जबलपुर.
जै हो...
जवाब देंहटाएंस्वागत है
bahut khoob !
जवाब देंहटाएंswaagat hai aabhaas bhaai !
aapka tahe-dil se swaagat hai yahaan.........
-albela khatri
वाह आभास । खुशी हुई आपका ब्लाॅग देखकर। आशा है जिस दुनिया में हो उसके बारे में नई नई जानकारियाँ मिलेंगी।
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
apne sahi kaha hai..ki nirbighan hokar sarita ya sur kuch bhi bahe ye avashayk hai
जवाब देंहटाएंaka swagat hai is blog jagat mein
sakhi
narayan narayan
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पोस्ट आभास जी। बस इसी तरह अपनी ज़मीन को याद रखना। आपका कार्यक्रम हमेशा याद आता है। मालिक ख़ूब तरक्की बक्शे आपको। जब भी जबलपुर आना तो याद करना। मिलने ज़रूर आऊँगा, यदि जबलपुर में हूँगा।
जवाब देंहटाएंस्वागत है, अरे कुछ लिखो तो सही!
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